वक़्त गुज़र गया मगर ज़ख़्म आज भी ताज़ा है, हम गुज़र रहे है उल्फ़तो से जैसे पानी में गिरा एक अश्क़ का बूँद भी हमारा है ।

वक़्त गुज़र गया मगर ज़ख़्म आज भी ताज़ा है, हम गुज़र रहे है उल्फ़तो से जैसे पानी में गिरा एक अश्क़ का बूँद भी हमारा है ।

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