तकलीफ ए रहगुजर से न जा़या कीजिऐ , ताश है अगर ज्जबात , तो कम से कम खेल भी बता़या कीजिऐ !

जरा जरा सा ही इतेफाक है ,
उगंलिया उठी भी नही मगर मोह्बबत का हमपे इल्जाम है !

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