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Showing posts from May, 2017
यूँही गुज़र रहा है वक़्त मगर हाथों की लकीरें न बदली,सब कुछ बदल गया ज़िंदगी में मगर किसी शकस की क़िस्मत न बदली ।
जो ख़ुद मंज़िलको पाने के लिए रास्तानहीं बना सकता दूसरोको क्या रास्ता बताएगा,खो जाएगा दुनिया के भीड़में अकेले वो हर किसी को आइना क्या दिखाएगा