जो ख़ुद मंज़िलको पाने के लिए रास्तानहीं बना सकता दूसरोको क्या रास्ता बताएगा,खो जाएगा दुनिया के भीड़में अकेले वो हर किसी को आइना क्या दिखाएगा
यूँही गुज़र रहा है वक़्त मगर हाथों की लकीरें न बदली,सब कुछ बदल गया ज़िंदगी में मगर किसी शकस की क़िस्मत न बदली ।
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